अक्षय तृतीया: सोना खरीदने में असमर्थ हैं तो महज पांच रुपये के उपाय से मिलेगा लाभ
दिल्ली: धार्मिक मान्यता के अनुसार अक्षय तृतीया के दिन सोना खरीदना बहुत शुभ माना जाता है. लेकिन, यदि आप सोना खरीदने में असमर्थ हैं तो महज पांच रुपये के इस उपाय से भी आपको लाभ प्राप्त हो सकता है.
हिंदू पंचांग के अनुसार वैशाख माह के शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि पर अक्षय तृतीया का त्योहार मनाया जाता है. इस वर्ष यह तिथि 22 अप्रैल 2023 दिन शनिवार को पड़ रही है. धार्मिक मान्यता के अनुसार इस विशेष दिन माता लक्ष्मी और भगवान विष्णु की आराधना की जाती है. माना जाता है कि इस दिन जो भी व्यक्ति विधि-विधान से पूजा करते हैं उनको शुभ फल प्राप्त होते हैं.
इस विशेष दिन सोना खरीदने का विधान है. लेकिन, आज के समय में सोना बहुत महंगा होने के कारण यह सभी के लिए संभव नहीं कि वे सोना खरीद सकें. ऐसे में इससे जुड़े कुछ ऐसे उपाय हैं जिन्हें करने से सोने के समान फल प्राप्त हो सकता है. आइए जानते हैं कौन से हैं वो उपाय जो सोने के समान देगें फल.
जौ का प्रयोग होता है लाभकारी
पौराणिक मान्यताओं के अनुसार अक्षय तृतीया के दिन सोना खरीदने शुभ माना जाता है. ऐसा करने से माता लक्ष्मी प्रसन्न होती हैं और भक्तों को शुभ फल प्रदान करती हैं. लेकिन, ज्योतिष के अनुसार यदि आप सोना नहीं खरीद सकते हैं तो जौं खरीदे. महज पांच रुपये का जौं खरीद कर माता लक्ष्मी की पूजा करते समय उन्हें अर्पित करें. माना जाता है कि जो मनुष्य में सृष्टि का प्रथम आहार है. मान्यता यह भी है कि जौं भगवान विष्णु का प्रतीक होता है. यही कारण है कि सभी धार्मिक अनुष्ठानों में इसका प्रयोग किया जाता है.
अक्षय तृतीया पर जरूर करें ये उपाय
इस विशेष दिन न सिर्फ माता लक्ष्मी की पूजा का विधान है बल्कि भगवान विष्णु की पूजा भी लाभकारी मानी जाती है. ऐसा करने से आपके जीवन में सुख-समृद्धि आती है.
धार्मिक मान्यता के अनुसार अक्षय तृतीया के दिन श्री यंत्र और कुबेर यंत्र की पूजा करना भी लाभकारी माना जाता है. इस विशेष दिन इन यंत्रों का विधि-विधान से पूजा करना बहुत शुभ होता है. इससे आपकी आर्थिक परेशानियां दूर होती हैं.
इस विशेष दिन माता लक्ष्मी की पूजा करते समय जौं जरूर अर्पित करें. मान्यता है कि इसको अर्पित करना सोना चढ़ाने जितना माना जाता है. इससे आपको शुभ फल प्राप्त होते हैं.
(यहां दी गई जानकारियां धार्मिक आस्था और लोक मान्यताओं पर आधारित हैं, इसका कोई भी वैज्ञानिक प्रमाण नहीं है. इसे सामान्य जनरुचि को ध्यान में रखकर यहां प्रस्तुत किया गया है.)