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हरियाणा में महर्षि वाल्मीकि जयंती पर अनिल विज ने किया वाल्मीकि धर्मशाला का उद्घाटन, संस्कृति और मानव कल्याण पर दिए संदेश

  • Tapas Vishwas
  • October 07, 2025
Anil Vij inaugurated Valmiki Dharamshala on Maharishi Valmiki Jayanti in Haryana, gave messages on culture and human welfare.

चंडीगढ़। हरियाणा के ऊर्जा, परिवहन एवं श्रम मंत्री अनिल विज ने महर्षि वाल्मीकि जयंती के अवसर पर श्रद्धालुओं को संबोधित करते हुए कहा कि महर्षि वाल्मीकि द्वारा दी गई शिक्षाओं और उनके सिद्धांतों पर चलकर हमें अपने जीवन को सार्थक बनाना चाहिए। उन्होंने कहा कि पूरे देश में धर्म और संस्कृति की आधारशिला महर्षि वाल्मीकि ने रखी है। अनिल विज आज तोपखाना बाजार और बब्याल में स्थित वाल्मीकि मंदिर में आयोजित कार्यक्रम में मुख्य अतिथि के रूप में उपस्थित थे। उन्होंने महर्षि वाल्मीकि दिवस के प्रकट दिवस की सभी को हार्दिक शुभकामनाएं दीं और कहा कि यह जयंती पूरे देश में हर्षोल्लास के साथ मनाई जा रही है। उन्होंने महर्षि वाल्मीकि को आदि कवि, सृष्टिकर्ता और रामायण के रचयिता के रूप में याद किया। मंत्री ने कहा कि संस्कृत का पहला श्लोक भी महर्षि वाल्मीकि के मुख से प्रकट हुआ और उनके माध्यम से ही हमारे शास्त्र लिखे गए। उन्होंने यह भी बताया कि महर्षि वाल्मीकि ने मानव कल्याण के लिए रामायण की रचना की, जिसमें भगवान राम के जीवन को शास्त्र रूप में प्रस्तुत किया गया और यह हमारे लिए मार्गदर्शक है।

कार्यक्रम में अनिल विज ने तोपखाना बाजार में 22 लाख रुपये की लागत से निर्मित वाल्मीकि धर्मशाला का उद्घाटन किया। इसके साथ ही उन्होंने धर्मशाला के विस्तार और गतिविधियों के लिए अपने स्वैच्छिक कोष से 10 लाख रुपये देने की घोषणा की। इसके अतिरिक्त, बब्याल में स्थित अम्बेडकर धर्मशाला के विस्तार के लिए भी उन्होंने 12 लाख रुपये प्रदान करने की घोषणा की। मंत्री अनिल विज ने कहा कि महर्षि वाल्मीकि के जीवन और शिक्षाओं से प्रेरणा लेकर समाज में नैतिकता, संस्कृति और मानव कल्याण की भावना को बढ़ावा देना आवश्यक है। उन्होंने श्रद्धालुओं से अपील की कि वे महर्षि वाल्मीकि के आदर्शों को अपने जीवन में उतारें और सामाजिक कल्याण में सक्रिय भूमिका निभाएं। इस अवसर पर स्थानीय श्रद्धालु और समाजसेवी भी मौजूद थे। उन्होंने मंत्री अनिल विज की पहल और धर्मशालाओं के निर्माण एवं विस्तार के लिए दिए गए योगदान की सराहना की। कार्यक्रम में वाल्मीकि मंदिर और धर्मशालाओं के माध्यम से समाज में धार्मिक, सांस्कृतिक और सामाजिक चेतना को बढ़ाने पर जोर दिया गया। यह आयोजन महर्षि वाल्मीकि की शिक्षाओं और उनके द्वारा स्थापित धार्मिक, सांस्कृतिक मूल्यों को उजागर करने का महत्वपूर्ण अवसर रहा।


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