बिहार विधानसभा चुनावः ‘दामादवाद’ के जिक्र ने बढ़ाई सियासी हलचल!

पटना। बिहार में विधानसभा चुनाव होने हैं, ऐसे में सियासी हलचल लगातार बढ़ती जा रही है। राजनीतिक दल एक-दूसरे पर आरोप-प्रत्यारोप लगाने के साथ ही वोटरों को अपने पक्ष में करने में जुटे हुए हैं। लेकिन इसबार चुनाव से पहले परिवारवाद की जगह ‘दामादवाद’ का जिक्र ज्यादा हो रहा है। बिहार में कई बड़े-बड़े नेताओं और मंत्रियों के बेटे-बेटियां राजनीति में हैं और उनमें से कई मंत्री, विधायक और सांसद हैं लेकिन इस बार चुनावी मौसम दामादों के लिए बड़ा खुशनुमा बना हुआ है। सियासी गलियारों में चर्चा है कि जिस तरीके से इस बार मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने बिहार के विभिन्न आयोग, निगम और परिषद में बड़े-बड़े नेताओं और केंद्रीय मंत्रियों के दामादों को तरजीह दी है, उसको लेकर लगातार विवाद चल रहा है। सवाल उठता है कि आखिर नीतीश कुमार की ऐसी क्या मजबूरी थी कि इस बार धड़ल्ले से बड़े-बड़े नेताओं के दामाद पर वो इतने मेहरबान हो गए और विभिन्न आयोग निगम और परिषदों में उन्हें जगह दे दी। यूं तो नीतीश कुमार हमेशा से ही परिवारवाद के सख्त विरोधी रहे थे उन्हें आखिर क्यों इस बार परिवारवाद और खासकर इस बार चुनाव से पहले ‘दामादवाद’ नजर नहीं आ रहा है।