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जन्मदिन विशेष : धूल और धुंए की बस्ती से निकले पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी थे भारत के असली कोहिनूर

  • Kanchan Verma
  • December 25, 2021
Birthday Special: Former Prime Minister Atal Bihari Vajpayee, who came out of the dust and smoke settlement, was the real Kohinoor of India

आज पूरी दुनिया जहाँ क्रिसमस पर्व मना रही है तो वही आज भारत मे एक ऐसे राजनेता का जन्मदिन मनाया जा रहा है जिसने राजनीति के मायने ही बदल कर रख दिये, विपक्ष भी जिनका चाहने वाला हो ऐसे राजनेता को सदियों तक याद किया जाता है।भारत की संस्कृति की अधिष्ठित राजनीति के धुरंधर राजनेता रहे स्वर्गीय अटल बिहारी वाजपेयी का जन्म आज ही के दिन मनाया जाता है।अटल बिहारी वाजपेयी 25 दिसंबर 1924 को ग्वालियर में एक अध्यापक के घर मे पैदा हुए थे,धूल और धुंए की बस्ती में पले बढ़े और एक साधारण परिवार में पैदा हुए अटल बिहारी दुनिया के सबसे बड़े लोकतंत्र के प्रधानमंत्री बनेंगे ये शायद ही कभी उनके परिवार वालो ने सोचा होगा।अपनी प्रतिभा, नेतृत्व क्षमता और लोकप्रियता के कारण अटल बिहारी वाजपेयी चार दशकों से भी ज़्यादा भारतीय संसद के सांसद रहे थे।वो सिर्फ राजनीति के ही महारथी नही थे बल्कि शब्दों की जादूगरी के भी उस्ताद थे, अपने काव्य हृदय की वजह से ही अटल जी देश के प्रधानमंत्री बने थे। जमीन से उठकर शिखर के आसमान तक पहुंचने के पीछे अटल जी को काफी संघर्ष करना पड़ा था। अपने इस जीवन संघर्ष को उन्होंने अपनी कविताओं में बड़ी संजीदगी से उतारा था,आज भी उनके द्वारा लिखी गयी कविता पढ़कर रोम रोम पुलकित हो जाता है। 

 

गीत नहीं गाता हूँ ,

 

बेनक़ाब चेहरे हैं,

 

दाग़ बड़े गहरे हैं,

 

टूटता तिलिस्म आज सच से भय खाता हूँ,

 

गीत नही गाता हूँ ।

 

ये कविता अटल बिहारी वाजपेयी के जीवन से जुड़ी बेहतरीन कविताओं में से एक है,शायद उनके इन्ही शब्दो के खेल के कारण वो बहु जनप्रिय और लोक लुभावन राजनेता के रूप में समाज की श्रद्धा के पात्र बने।सात्विक सोच वाले व्यक्ति का राजनीति में उतरना समाज के प्रति उनके समर्पण के भाव को दर्शाता था,अटल बिहारी ने उद्घोष किया था कि - "हम जिएंगे तो देश के लिए, मरेंगे तो देश के लिए।इस पावन धरती का कंकड़ कंकड़ शंकर है,बिंदु बिंदु गंगाजल है,भारत के लिए हंसते हंसते प्राण न्योछावर करने में गौरव और गर्व अनुभव करूंगा"। इसी सोच ने उन्हें राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ का स्वयं सेवक बना दिया,अटल जब विक्टोरिया कॉलेज से बी.ए कर रहे थे तब वो कॉलेज के संघ के मंत्री और उपाध्यक्ष भी रहे थे,शुरू से ही उनमें लीडरशिप करने के गुण विद्यमान थे,वाद विवाद प्रतियोगिता में आगे बढ़ कर वो हिस्सा लिया करते थे,राजनीति शास्त्र उनका प्रिय विषय हुआ करता था, इस विषय मे उन्होंने कानपुर के डीएवी कॉलेज से प्रथम श्रेणी में एमए किया,अटल बिहारी ने एलएलबी की पढ़ाई भी की थी परंतु वकालत की पढ़ाई को बीच मे रोक कर वो संघ के कामों में लग गए।देश के सबसे प्रिय नेता के रूप में अगर आज किसी नेता को याद किया जाता है तो वो अटल बिहारी वाजपेयी ही है जिन्हें विपक्ष भी खूब पसंद किया करता था।

 

आज 25 दिसंबर को अटल बिहारी वाजपेयी के जन्मदिन पर पूरा देश उन्हें याद कर रहा है, भारत के वर्तमान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी अटल बिहारी वाजपेयी को याद करते हुए ट्वीट किया है,और उनके जन्मदिन पर उन्हें कोटि कोटि नमन भी किया है।


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