Happy birthday Nainital: कितना खूबसूरत कितना बेमिसाल है!इसे सिर्फ शहर नही अपना घर समझिए,दुर्दशा होने से बचाइए,ताकि अमर रहे आपका अपना नैनीताल
नैनीताल:18/11/2022
"कितना खूबसूरत बेमिसाल है,वादियों से घिरा मखमली ताल है, ये नैनीताल है, नैनीताल है"।
सरोवर नगरी नैनीताल के डीएसए ग्राउंड में आज छोटी विलायत के नाम से मशहूर विश्व प्रसिद्ध पर्यटक नगरी नैनीताल का 182वाँ जन्मदिन मनाया जा रहा है। हर साल 18 नवंबर को दीपक बिष्ट द्वारा नैनीताल के जन्मदिन को आयोजित किया जाता है। इस मौके पर सर्वधर्म प्रार्थना सभा आयोजित की जाती है तरह तरह के कार्यक्रम होते है और नैनीताल को बचाने के लिए कार्यक्रम में आये गणमान्य नागरिकों द्वारा राय दी जाती है। एक ही मंच पर कई तरह के केक सुसज्जित किये जाते है और नैनीताल का जन्मदिन धूमधाम से मनाया जाता है। आइये अब एक नज़र नैनीताल के इतिहास के बारे में डालते है।
1840 को अंग्रेज व्यापारी पीटर बेरेन ने नैनीताल की छोटे विलायत के रूप में खोज की थी, उन्हें नैनीताल इतना ज़्यादा पसंद आया था कि अंग्रेजो के लिए आरामगाह और प्राकृतिक रूप से स्वास्थ्य का लाभ लेने वाली ये पसंददीदा जगह बन गयी,नैनीताल समुन्दरतल से 1938 मीटर की ऊंचाई पर स्थित है,जो चारो ओर से घने पेड़ो और ऊँचे ऊंचे पर्वतों से घिरा हुआ था,इन ऊंचे पर्वतों के बीचों बीच नैनी झील स्थित है जिसकी लंबाई तकरीबन 458 मीटर और झील की गहराई 15 मीटर से 156 मीटर तक आंकी गयी है,हालांकि झील की गहराई को लेकर अलग अलग मत बने हुए है,रात के समय नैनीताल की खूबसूरती चारगुना ज़्यादा बढ़ जाती जब पहाड़ो पर बने घरों की रौशनी का प्रतिबिंब झील में दिखाई देता है। तब ऐसा लगता है जैसे झील के अंदर हज़ारो बल्ब जल उठे हो। नैनीताल राष्ट्रीय राजमार्ग 87 से पूरे देश को जोड़ता है, नैनीताल में तो कोई रेलवे स्टेशन नही है लेकिन नैनीताल से उतरते ही काठगोदाम में रेलवे स्टेशन है जो नैनीताल से 34 किमी की दूरी पर स्थित है,साथ ही पंतनगर एयरपोर्ट भी नजदीक ही है जो करीब 55 किमी की दूरी पर स्थित है।नैनीताल में वैसे तो सालभर ही ठंड का मौसम रहता है पर जाड़ो में यहाँ बर्फबारी सैलानियों को अपनी ओर आकर्षित करती है,खास कर विंटर स्पोर्ट्स के दीवानों को नैनीताल अपनी ओर खींच ही लेता है।
नैनीताल खूबसूरत था और खूबसूरत आज भी है। पर जब से नैनीताल शहर बसा है तब से लेकर आज तक नैनीताल का विकास कम और विनाश ज़्यादा हुआ है,हरा भरा शहर आज चारो ओर से कंक्रीट का जंगल बनता जा रहा है,हाई कोर्ट के सख्त आदेश के बाद भी अंधाधुंध निर्माण कार्यो से नैनीताल की खूबसूरती पर मानो कोई बार बार हमला कर रहा हो,पेड़ो को काट काट कर मकान बनाए जा रहे हैं,जगह जगह नालो में कूड़ा इस कदर भर चुका है कि झील तक बरसात का पानी पहुंचना भी मुश्किल हो गया है,18 सिंतबर 1880 को इतना विनाशकारी भूस्खलन हुआ था कि 151 लोगो की जाने चली गयी थी नैनीताल की दशा ही बदल गयी उन तीन दिनों के अंदर,1890 में नैनीताल की झील को सुरक्षित रखने के लिए 65 नालो का निर्माण किया गया था जो नैनीताल के दिल यानी झील के लिए धमनियों की तरह काम करती थी लेकिन आज उन्ही धमनियों को पाट दिया गया है। नैनीताल की जड़ कहे जाने वाले बलियानाला आज भूस्खलन की वजह से खतरे की जद में है। इन सबके पीछे बड़ी वजह प्रशासन की लापरवाही, हीलाहवाली, और अपने चहेतों को अतिक्रमण की छूट देना है।
नैनीताल में रहने वाला हर व्यक्ति नैनीताल को अगर अपना घर समझता तो शायद नैनीताल की इतनी बुरी दुर्दशा न हुई होती।