नैनीताल: डिजिटल इंडिया में डिजिटल भ्रष्टाचार! कृषि विभाग की करतूत अवैध ऑफलाइन भुगतान से किया करोड़ों का भ्रष्टाचार ! रात को होती है पोर्टल पर सेटिंग ! पूरा खुलासा केवल आवाज़ इंडिया पर
नैनीताल : यूं तो मोदी सरकार भ्रष्टाचार मुक्त भारत की बात करती है लेकिन जमीनी हकीकत कुछ और ही है मोदी सरकार के द्वारा डिजिटल इंडिया पर ज़ोर दिया जा रहा है जिसके तहत कृषि विभाग में भी कई बदलाव किए गए है जिसमें खास कर देश के किसानों की आय बढ़ाने के लिए उन्हे खेती से संबन्धित उपकरण अनुदान पर दिये जाते है जिसकी अनुदान राशि सीधे किसानों के खाते में सरकार के द्वारा पहुँचती है अब सामान्य जनता के लिए तो सरकार अनुदान सीधे किसानों को दे रही है जिसके बीच में भ्रष्टाचार होने की संभावना बिलकुल नहीं है और इसी बात को मोदी सरकार ठोकबजा कर जनता से कहती है और वोट बैंक पक्का करती है ।
उत्तराखंड में भी इस वक़्त बीजेपी की सरकार है और युवा मुख्यमंत्री के रूप में पुष्कर सिंह धामी कमान संभाल रहे है लेकिन उत्तराखंड का कृषि विभाग भ्रष्टाचार के आरोपों से घिरता हुआ नजर आ रहा है। उत्तराखंड में भी SMAM योजना के तहत कृषि उपकरण किसानों को दिये जाते है , पर्वतीय क्षेत्रों में अधिकतम 80 प्रतिशत का अनुदान दिया जाता है जिसमें 50 प्रतिशत केंद्र सरकार और 30 प्रतिशत राज्य सरकार सीधे किसानों के खाते में अनुदानित राशि देती है ।
सामान्य तौर पर SMAM योजना में केंद्र के द्वारा https://agrimachinery.nic.in/ पोर्टल पर किसान यंत्रों के लिए ऑन लाइन आवेदन करता है आवेदन करने कि तिथि और समय समाचार पत्रों के माध्यम से पहले ही किसानों को दे दी जाती है ताकि किसान ऑनलाइन पोर्टल पर यंत्रों के लिए आवेदन कर सकें ।
आवाज़ इंडिया को किसानो से मिली जानकारी के अनुसार उत्तराखंड में अधिकतर जिलों में कृषि विभाग के अधिकारियों के सगे संबंधी ही डीलर के रूप में स्थापित है और उनको संबन्धित अधिकारियों द्वारा लाभ पहुंचाया जाता है और अन्य डीलरों से मोटीकमीशनबाजी की जाती है । जानकारी के अनुसार यत्रों के लक्ष्यों को अपलोड करने की तिथि और समय विज्ञप्ति देकर समाचार पत्रों के माध्यम से किसानों को सूचना दी जाती है ताकि किसान यंत्रो के लिए आवेदन कर सके , लेकिन जब किसान ऑनलाइन आवेदन करता है तो उस वक़्त लक्ष्य तो पोर्टल पर दिखाई पड़ते है लेकिन उन पर आवेदन नहीं हो पाता और कुछ दिनों के बाद पोर्टल देखते है तो टारगेट पूरे हो चुके होते है और अधिकतर जिलों में कृषि विभाग के भ्रष्ट अधिकारियों द्वारा अपने चाहने वाले चुनिन्दा डीलर को लाभ पहुंचाने और कमीशनबाज़ी करने के लिए सेटिंग से रात के वक़्त पोर्टल खोलकर यत्रों के टारगेट पर तिथि और समय सेट किया जाता है ताकि चुनिन्दा डीलर के अलावा अन्य कोई और आवेदन ही न कर पाये जिससे भ्रष्टाचार करने में आसानी हो । साथ ही यह भी जानकारी प्राप्त हुई कि कृषि विभाग की गाइड लाइन के अनुसार बगैर ऑन लाइन प्रक्रिया के चुनिन्दा डीलरों को अवैध रूप से करोड़ों के भुगतान भी किए गए है इन आरोपो की सच्चाई जानने को उत्तराखंड के कई जिलों के कृषि विभाग में आरटीआई लगाई गयी जिसके बाद कृषि विभाग पर लगाए गए आरोपो की पुष्टि होती चली जा रही है ।
सबसे पहले नैनीताल जिले की बात करते है जहां आरटीआई के द्वारा अभी तक प्राप्त सूचना के आधार पर पता लगता है कि पिछले दो वित्तीय सालों में नैनीताल जिले को अकेले 13 करोड़ रुपए के लक्ष्यों का आवंटन हुआ जिसमें धारी और भीमताल इकाई को मिलाकर 10.5 करोड़ से ज्यादा का बजट कृषि निदेशालय से जारी हुआ था और हल्द्वानी इकाई को 2.9 करोड़ का बजट जारी हुआ । जिसमें गौर करने वाली बात यह है कि इन दोनों इकाई के इंचार्ज उस वक़्त कृषि एवं भूमि संरक्षण अधिकारी डॉ नारायण सिंह थे।
गौरतलब है कि केवल इन दो सालों में कृषि एवं भूमि संरक्षण अधिकारी डॉ नारायण सिंह के द्वारा लगभग 9 करोड़ से ऊपर का खर्चा किया गया जबकि धारी और भीमताल इकाइयों में 5 विकासखंड आते है जिन्हें पिछले 4 वर्षों से डॉ नारायण सिंह ही संचालित कर रहे है । एक ही जिले की 3 इकाइयों में कृषि निदेशालय द्वारा केवल 2 इकाइयों धारी और भीमताल को अत्यधिक बजट का आवंटन करना कहीं न कहीं कृषि निदेशालय के उच्च अधिकारी और डॉ नारायण सिंह के बीच का गठजोड़ दर्शाता है ।
आरटीआई में ऑनलाइन पोर्टल पर विभाग द्वारा लक्ष्य अपलोड करने और किसानों को आवेदन करने के लिए विभाग द्वारा लक्ष्यों पर दिनांक और समय सेट करने की प्रक्रिया को मांगा गया था जिस पर बड़ी ही चालाकी से मुख्य कृषि अधिकारी कार्यालय नैनीताल से इसकी जगह किसानों को आवेदन करने की प्रक्रिया कि प्रतिलिपि को भेज दिया गया । और जब इसकी अपील की गयी तो बताया गया की कभी कभी तकनीकी दिक्कत आ जाती है जबकि पोर्टल केंद्र से संचालित होता है और जिस वक़्त पोर्टल पर तकनीकी खराबी का हवाला भूमि संरक्षण अधिकारी डॉ नारायण सिंह दे रहे थे तब अन्य जिलों से सही रिपोर्ट आ रही थी ।
अपील के दिन जब आवाज़ इंडिया की टीम कृषि विभाग भीमताल पहुंची जहां उस वक़्त मुख्य कृषि अधिकारी डॉ वी के यादव , भूमि संरक्षण अधिकारी डॉ नारायण सिंह मौजूद थे जब इनसे इस पूरे मामले में अपना पक्ष रखने को कहा तो दोनों अधिकारियों ने बाईट देने से मना कर दिया यही नहीं कई बार मुख्य कृषि अधिकारी जब पूछा गया कि आपके जिले में कृषि यंत्रों में कई तरह के घोटाले सामने आ रहे है तो मुख्य कृषि अधिकारी बहाना बनाकर चलते बने ।
आपको बता दें कृषि विभाग जब ऑनलाइन पोर्टल पर यत्रों के लक्ष्यों को अपलोड करता है तब उसमें किसानों के आवेदन के लिए तिथि और समय भी सेट करता है नैनीताल में कृषि विभाग के द्वारा दी गयी विज्ञप्ति के अनुसार लक्ष्य तो अपलोड किए गए लेकिन उसमें तिथि और समय सेट नहीं किए गए जिस वजह से किसानों को पोर्टल पर टारगेट तो दिखाई पड़े लेकिन आवेदन नहीं हो पाये ऐसा इसलिए क्योंकि विज्ञप्ति के अनुसार अगर तिथि और समय सेट कर देते तो सभी किसान आवेदन कर लेते ।
किसानों से मिली जानकारी के अनुसार कृषि विभाग के अधिकारियों द्वारा अपने चहेते डीलरों से सांठगांठ कर पोर्टल पर यंत्रों को आवेदन के लिए रात को 12 बजे बाद डीलर से सेटिंग कर तिथि और समय सेट किए गए ताकि उसी वक़्त चहेते डीलर के द्वारा चुने हुए किसानों आवेदन कर सके और टारगेट केवल चुनिन्दा डीलर के किसानों को मिल सके । यहाँ पर गौर करने वाली बात यह है कि अधिकतर डीलर इस सेटिंग गेटिंग के खेल में किसानों की फाइल खुद तैयार करते है जहां किसानों के फोन नंबर की जगह डीलर का ही नंबर होता है जो कि गलत है ।
इसी तरह से अन्य बिन्दु में मांगी गयी सूचना में कृषि निदेशालय उत्तराखंड के द्वारा जारी गाइडलाइन के अनुसार SMAM योजना में जारी बजट आवंटन में स्पष्ट लिखा हुआ है कि किसी भी तरह से ऑफ लाइन प्रक्रिया का कोई प्रावधान नहीं है अगर ऑफलाइन भुगतान किया जाता है तो वो भुगतान अमान्य होंगे बावजूद इसके नैनीताल जिले में बगैर ऑनलाइन प्रक्रिया को अपनाकर करोड़ों के भुगतान कर दिये गए आश्चर्य की बात ये है कि अपने ही निदेशालय के द्वारा जारी निर्देशों को धता बताते हुए सरकारी धन को मनमाने ढंग से खर्च किया गया जिससे यह स्पष्ट होता है कि अपने चहेतों को फायदा पहुंचाने के लिए ऑफलाइन भुगतान कर भ्रष्टाचार किया गया है इसमें भीमताल इकाई की बात करें तो ये भुगतान भी कृषि एवं भूमि संरक्षण अधिकारी डॉ नारायण सिंह के कार्यकाल में ही हुए है ।
कुमाऊँ के सभी जिलों में एक दो जिलों को छोड़कर सभी जिले के कृषि अधिकारी सूचना देने में टालमटोली कर रहे है और गलत सूचना भेज रहे है और कई जिले तो यत्रों के बिलों के पृष्ठों के नाम पर शुल्क ले रहे है और बिलों की जगह कार्यालय के सेनीटाइजर कम्प्युटर के बिल भेज रहे है । आरटीआई के द्वारा अभी तक प्राप्त जानकारी के अनुसार नैनीताल जिलें में कृषि विभागमें ढेरों अनियमितताओं के सबूत मिल रहे है । निष्पक्ष एजेंसी के द्वारा कृषि विभाग की बारीकी से जांच होनी बहुत जरूरी है संभावना है अगर जांच हुई तो कुछ ही समय में उत्तराखंड राज्य के कृषि विभाग के सभी भ्रष्ट अधिकारियों की जन्मकुंडली सबके सामने होगी । लेकिन तब तक हम परत दर परत भ्रष्टाचार की परते खोलते रहेंगे जब तक की दोषी अपने सही जगह नहीं पहुँच जाते ।