नैनीताल- पत्रकारिता विभाग द्वारा आयोजित अंतरराष्ट्रीय संगोष्ठी में अमेरिका के प्रतिष्ठित संस्थानों और विभिन्न यूनिवर्सिटीज के प्रतिनिधियो ने की शिरकत। नैनीताल की जलवायु और बिगड़ते हालातो पर की खास चर्चा

नैनीताल1/11/2022
कुमाऊं विश्वाविद्यालय डीएसबी परिसर नैनीताल के पत्रकारिता एवं जनसंचार विभाग के तत्वाधान में युवा हिंदी संस्थान न्यू जर्सी अमेरिका के अशोक ओझा और न्यूयॉर्क विश्वविद्यालय की प्रोफेसर गैब्रीयेला निक इलियेवा के सहयोग से नैनीताल की पारिस्थितिकी और पर्यावरण के अध्ययन और इस पर पाठ्य सामग्री के निर्माण की महत्वपूर्ण योजना प्रारम्भ की गई। चार दिवसीय इस कार्यक्रम का उद्घाटन मंगलवार को सुबह कुमाऊं विवि के स्वामी विवेकानंद, हर्मिटेज भवन, में विधायक सरिता आर्य,पर्यावरणविद प्रो अजय रावत,प्रो गिरीश रंजन तिवारी,प्रो एन के जोशी,प्रो गैब्रिएला निक इलियेवा,अशोक ओझा,प्रो ललित तिवारी ने दीप प्रज्ज्वलित कर कार्यक्रम का शुभारंभ किया।
अमेरिका के युवा हिंदी संस्थान के अशोक ओझा और गैब्रीयेला निक ने बताया कि किसी भी भाषा को जानने और सीखने के लिए बेहद ज़रूरी है कि उस भाषा के देश की जलवायु, इत्यादि को जानना भी बेहद ज़रूरी है। उनकी संस्था द्वारा भारत के उत्तराखंड में स्थित नैनीताल को चुना ताकि यहाँ की जलवायु महुए परिवर्तन, पर्यावरण संरक्षण, जल संरक्षण इत्यादि पर अध्ययन किया जा सके और आने वाले समय मे इस अध्ययन से एक पाठ्यक्रम तैयार किया जाएगा जो विद्यार्थियों के लिये बेहद महत्वपूर्ण साबित होगा।
कार्यक्रम में मुख्य अतिथि के रूप में पहुंची विधायक सरिता आर्य ने कहा कि ये नैनीताल वासियों के लिए गर्व कीबात है कि अमेरिका से प्रोफेसर यहां आकर यहां की जलवायु पर गहन अध्ययन कर रहे है। केदारनाथ में आई आपदा जलवायु परिवर्तन का ही एक बड़ा कारण थी जिसे हमने पिछले साल नैनीताल में अक्टूबर माह में भी देखा उस प्रलय मेभी कई लोगो की जाने गई। जलवायु परिवर्तन पर निश्चित रूप से कोई ठोस कदम उठाने चाहिए।
वही इस मौके पर वीडियो के माध्यम से केेन्द्रीय रक्षा एवं पर्यटन राज्यमंत्री एवं सांसद अजय भट्ट ने कहा कि मेरा विश्वास है कि विश्व के इतने विशिष्ठ और चुनिंदा संस्थानों के प्रतिनिधियों द्वारा अध्ययन के बाद निश्चय ही महत्वपूर्ण सामग्री तैयार होगी जो कुमाऊं विश्वाविद्यालय सहित पूरे उत्तराखंड के लिए बहुत महत्वपूर्ण व उपयोगी होगी।
उन्होंने कहा कि कुमाऊं विश्वाविद्यालय और पत्रकारिता विभाग के लिए एक बहुत बड़ी उपलब्धि है। उन्होंने इस महत्वपूर्ण आयोजन और अमेरिका आये प्रसिद्ध संस्थानों के प्रतिनिधियों को नैनीताल लाने के लिए पत्रकारिता विभाग के अध्यक्ष और वरिष्ठ पत्रकार प्रो. गिरीश रंजन तिवारी के प्रयासों की हार्दिक सराहना करते हुए उन्हें हार्दिक बधाई देता हूँ।
उन्होंने कहा कि जनपद नैनीताल में पर्यावरण संरक्षण के सम्बन्ध में महत्वपूर्ण कार्य किए जा रहे हैं। जनपद में ग्राम्य विकास विभाग एवं वन विभाग द्वारा 86 अमृत सरोवर का कार्य गतिमान है जिसमें 50 सरोवर पूर्ण हो गए हैं। मनरेगा अंतर्गत 1067 जल संरक्षण कार्य, 334 वृक्षारोपण कार्य तथा 447 परंपरागत जल स्त्रोत के संवर्धन का कार्य किया गया। 1474 ऐसे कार्य किए गए जिनमें भूमि कटाव को रोकने का प्रयास किया गया। उद्यान विभाग द्वारा 1.41 लाख फलदार पौधों का रोपण कर आजीविका संवर्धन का कार्य किया गया है। ग्राम्य विकास विभाग के माध्यम से 172 बायो गैस संयत्र का निर्माण किया गया।
अजय भट्ट ने कहा कि बालियानाला की संवेदनशीलता को देखते हुए JICA। के माध्यम से DPR तैयार किया जा रहा है। विगत वर्षाे में कोविड 19 के कारण डीपीआर तैयार करने में विलम्ब हुआ है। Deep seated anchors] Deep hydro seeding] Gabion walls ,oa micro piling कुछ ऐसे कार्यों के किए जाने का सुझाव है जिससे बालियानला में भू स्खलन रोकने में मदद मिलेगी। इस पूरे प्रोजेक्ट में लगभग रुपए 200 करोड़ का व्यय होगा।
कार्यक्रम के मुख्य वक्ता पर्यावरणविद प्रो अजय रावत ने कहा कि नैनीताल की आज जो दुर्दशा है उसका कारण बढ़ती जनसंख्या और अतिक्रमण है उन्होनें कहा यहाँ नवनिर्माण पूरी तरहबन्द हो जाना चाहिए। उन्होंने कहा कि नैनीताल को बचाने के लिए सड़को पर आकर आंदोलन करना होगा,आज शहर की ये स्थिति है कि बाहरी लोगों ने आकर यहां निर्माण शुरू कर दिया है बाहरी लोगों का राशन कार्ड जल्दी बन जाता है जबकि स्थानीय लोगों को चक्कर काटने पढ़ते है। उन्होंने कहा कि नैनीताल बचाओ अभियान में सभी को बढ़चढ़ कर आगे आना होगा,आज यहां सब पारंपरिक ज्ञान भूल गए।
वाटर मैनेजमेंट नौले,धारे घराट खत्म कर दिए,पुराने लोग ये अच्छी तरह जानते थे कि कहाँ पर पानी मिलेगा,जिस जगह बांझ का पेड़ हो वहा निश्चित तौर पर ज़मीन के अंदर पानी मिलता है।आज आर्टिफिशियल चीजों से पैसा खर्च कर पानी ढूंड रहे है।रिवर वेली सेटलमेंट के तहत कहा गया था कि नदी किनारे मकान नही बनेंगे,लेकिन लोगो ने वहां भी अतिक्रमण किया है,जबकि पहले के बुजुर्ग लोग पानी श्रोत जहा होता बांझ के पेड़ बड़े पेड़ लगाते थे,इससे ह्यूमन लाइफ,एनिमल लाइफ और प्लांट्स लाइफ कनेक्ट रहती थी। उन्होंने ये भी कहा कि नैनीताल में रोपवे योजना पर सरकार ने काम नही किया,सर्वे नही किया,इस पर उन्होंने जनहित याचिका तक लगाई है। उन्होंने कहा कि लेफ्ट में राजभवन क्षेत्र राइट में बलियानाला क्षेत्र है राजभवन स्थित गोल्फ के नीचे का एरिया ढह रहा है। मनोरमा पीक98 %सेंड है 2 % शैटर्ड रॉक है यहां रोपवे सक्सेस नही होगा। उन्होंने कहा कि हनुमान वाटिका एक पार्क है जहाँ सरकार 800 करोड़ रुपये रोपवे में लगाने की बात कह रही है जबकि मालूम हो कि पार्क में रोपवे नही बन सकता।यहां मकान धंसने लगे है,खतरनाक स्थिति रोपवे नही बनना चाहिए।
उन्होंने आगे कहा कि सूखताल झील नैनीताल की लाइफ लाइन है,45 तो 55% पानी नैनीझील में यही से जाता है,सूखताल क्षेत्र 42 हज़ार वर्गमीटर था आज 22 हज़ार वर्गमीटर ही रह गया,और यहां पर भी पार्किंग बना दी गयी है जो कि बेहद चिंताजनक है। उन्होंने बताया कि नैनीताल की नैनीझील में सी प्लेन के संचालन की तैयारी तक गयी जिसकी खबर केवल चुनिंदा न्यूज़ पेपर में आयी थी,सी प्लेन की खबर ही अपने आप मे आश्चर्यजनक थी क्योंकि यहां सी प्लेन की कल्पना भी गलत है पूरी मॉल रोड, तल्लीताल, और हल्द्वानी मार्ग इससे प्रभावित होता। उन्होंने कहा कि सी प्लेन परियोजना के तहत नैनीझील के अस्तित्व पर वार किया जा रहा था जिसे बमुश्किल रोका गया।
आज के कार्यक्रम में अमेरिका के कैलीफोर्निया विश्वविद्यालय, पेंसिलवेनिया विवि, कंसास विवि, वेंडरबिल्ट विवि, सैसली विवि मैडिसन , जर्सी सिटी बोर्ड, फोरसाइथ डिस्ट्रिक्ट काउंटी स्कूल, शैंडलर डिस्ट्रिक्ट स्कूल और हिंदी भाषा अकादमी आदि अत्यंत प्रतिष्ठित संस्थानों के प्रतिनिधियो ने शिरकत की इसके बाद विक्रम विंटेज होटल में नैनीताल की जय जननी जय भारती की टीम पत्रकार और अमेरिका से आये सभी प्रतिनिधियों के बीच नैनीताल की जलवायु परिवर्तन पर चर्चा की गई। जय जननी जय भारती के संस्थापक मनोज साह जगाती ने बताया कि नैनीताल में पहले पानी को संचित करने के लिए किस तरह बुजुर्ग गड्ढे और कुएं बनाते थे जो आज अतिक्रमण की भेंट चढ़ चुके है अतिक्रमण की वजह से सीधा असर नैनीताल पर पड़ा है।
उन्होंने कहा कि नैनीताल की जलवायु परिवर्तन की वजह से आज यहां के जंगलों से कई वन्य जीव विलुप्त हो चुके है, कई पेड़ पौधों पर नकारात्मक असर हुआ है।उन्होनें बताया कि उनकी टीम जंगलों पहाडोमे जाकर लोगो द्वारा फेंके गए कचरे को उठाकर शहर ही नही बल्कि यहाँ के जंगलों को भी बचाने की कोशिश करते है। उन्होनें सभी से अपील भी की पहाड़ और जंगलों में अगर आप जाएं तो कांच कीकोई भी चीज तोड़फोड़ कर न फेंके क्योंकि जंगली जानवर उन्हें जब जीभ से चाटते है तो जख्मी हो जाते है। उन्होंने कहा कि हम पूरे सालभर पौधरोपण करते है खासकर बारिश के मौसम में और उनकी देखरेख भी करते है ताकि नैनीताल भूस्खलन से बचा रहे।
जय जननी जय भारती की एक्टिव सदस्य और माउंट एवरेस्ट विजेता तूशी साह ने कहा कि जब मैं माउंट एवरेस्ट चढ़ी तब मुझे महसूस हुआ कि ये दुनिया का डस्टबिन बन चुका है। लोग यहां आते है और अपना कचरा यहां फेंक जाते है यही हाल नैनीताल के जंगलों और पहाड़ों के हो गया है।
प्रो ललित तिवारी ने कहा कि नैनीताल को बचाने के लिए पौधरोपण बेहद जरूरी है। हम अपने विभाग द्वारा समय समय पर पौधरोपण किया जाता है। जिसमे विभिन्न प्रजातियों के पौधे लगाए जाते है। शहर को बचाने के हर संभव प्रयास किये जाते है लेकिन फिर प्रशासन की ढील की वजह से अतिक्रमण लगातार सामने आता रहता है।
अमर उजाला के ब्यूरो चीफ और पत्रकारिता विभाग के एचओडी प्रो गिरीश रंजन तिवारी ने कहा कि व्यक्तिगत रूप नैनीताल को बचाने के लिए किए गए प्रयास नाकाफी है इसके लिए सभी को आगे आना होगा।
वही आवाज़ इंडिया की एडिटर कंचन वर्मा ने कहा कि नैनीताल की दुर्दशा के ज़िम्मेदार प्रशासन,प्राधिकरण और नगर पालिका ज़्यादा है क्योंकि इनकी शह के बिना नैनीताल में अतिक्रमण सम्भव ही नही ।
वही वरिष्ठ पत्रकार अरुण साह ने कहा कि नैनीताल की लाइफ लाइन सूखताल झील पहले लबालब भरी रहती थी जो अब बिल्कुल सूख चुकी है यहां अब सौंदर्यीकरण योजना के तहत आर्टिफिशियल झील में तब्दील किया जा रहा है, बेहतर होता कि प्राकृतिक नौलों इत्यादि को बचाने के लिए प्रयास किये जाते,जिससे प्राकृतिक जल स्रोत पुनः सूखताल झील को भर सकें।
इस मौके पर फोटोग्राफर अमित साह,अदिति खुराना,संजय कुमार,इत्यादि लोगो ने अपने महत्वपूर्ण विचार रखे।