• Home
  • News
  • Uttarakhand: EXCLUSIVE! In 21 years after the formation of the state, more than 50 thousand hectares of forest of Uttarakhand was burnt to ashes! In 12 years, the forest department spent more than Rs 41 crore in extinguishing the forest fires!

उत्तराखंड: EXCLUSIVE! राज्य गठन के बाद 21 सालो में उत्तराखंड के 50 हज़ार हैक्टेयर से ज़्यादा जंगल जलकर हुए खाक!12 सालों में वन विभाग ने जंगलो की आग बुझाने में खर्च किये 41 करोड़ रुपए से ज़्यादा!

  • Kanchan Verma
  • October 30, 2022
Uttarakhand: EXCLUSIVE! In 21 years after the formation of the state, more than 50 thousand hectares of forest of Uttarakhand was burnt to ashes! In 12 years, the forest department spent more than Rs 41 crore in extinguishing the forest fires!

उत्तराखंड/हल्द्वानी:30/10/2022- 2.40 pm

 

उत्तराखंड में ठंड बढ़ने के साथ ही जंगलों की आग के मामले में थमने लगे है।हर वर्ष वनाग्नि के भेंट कई हैक्टेयर जंगल खाक हो जाते है जिनकी पूर्ति दोबारा नही हो पाती।


राज्य गठन से लेकर अब तक पूरे 21 सालों में वनों के भीतर भीषण आगजनी की घटनाएं सामने आई,जबकि अधिकारियों और कर्मचारियों की सशक्त टीम भी वनाग्नि की लपटों को बुझाने में फेल साबित हुई। आरटीआई एक्टिविस्ट हेमंत गुनिया को सूचना के अधिकार अधिनियम के तहत मिले आंकड़े इस बात को साबित करती है,कि राज्य गठन के बाद उत्तराखंड के जंगल किस तरह आग की लपटों में तबाह हुए है। साल 2001 से 2021 तक राज्य का 50 हजार हेक्टेयर से अधिक जंगल आग की भेंट चढ़ गया, वहीं , वित्तीय वर्ष 2010-11 से लेकर 2021-22 तक वन विभाग साढ़े 41 करोड़ आग पर काबू पाने के दावों पर खर्च कर चुका है। 12 साल की अवधि में यह सारा पैसा कैंपा योजना से जारी हुआ था । हल्द्वानी के आरटीआई एक्टिविस्ट हेमंत गोनिया ने सूचना के अधिकार अधिनियम के तहत जंगलों की आग और बचाव में खर्च हुए बजट का ब्यौरा मांगा था  जिसके जवाब में  विभाग ने बताया कि 2001 से लेकर 2021 तक उत्तराखंड में 50753 हेक्टेयर जंगल आग की चपेट में आया है।
सूचना के अधिकार अधिनियम के तहत मिली सूचना के मुताबिक आइये जानते है कि राज्य गठन के बाद किस साल कितने जंगल जले।
2001 में 1144 हैक्टेयर जंगलो का नुकसान

2002 में 3494 हैक्टेयर जंगलो का नुकसान

2003 में 4750 हैक्टेयर जंगलो का नुकसान

2004 में 4850 हैक्टेयर जंगलो का नुकसान

2005 में 3652 हैक्टेयर जंगलो का नुकसान

2006 में 468 हैक्टेयर जंगलो का नुकसान

2007 में 1995 हैक्टेयर जंगलो का नुकसान

2008 में 2369 हैक्टेयर जंगलो का नुकसान

2009 में 4115 हैक्टेयर जंगलो का नुकसान

2010 में 1610 हैक्टेयर जंगलो का नुकसान

2011 में 231 हैक्टेयर जंगलो का नुकसान

2012 में 2823 हैक्टेयर जंगलो का नुकसान

2013 में 384 हैक्टेयर जंगलो का नुकसान

2014 में 930हैक्टेयर जंगलो का नुकसान

2015 में 701 हैक्टेयर जंगलो का नुकसान

2016 में 4433 हैक्टेयर जंगलो का नुकसान

2017 में 1228 हैक्टेयर जंगलो का नुकसान

2018 में 4480 हैक्टेयर जंगलो का नुकसान

2019 में2981 हैक्टेयर जंगलो का नुकसान

2020 में 172 हैक्टेयर जंगलो का नुकसान

2021 में 3943 हैक्टेयर जंगलो का नुकसान

 

 

ये सभी आंकड़े वन विभाग द्वारा सूचना के अधिकार अधिनियम के तहत प्राप्त हुए है। जिसके मुताबिक सबसे ज्यादा जंगल प्रतिवर्ष वनाग्निकाल 15 फरवरी से 15 जून तक आग की भेंट चढ़ जाते है।

 

इस दौरान सबसे ज्यादा प्रभावित अल्मोड़ा, बागेश्वर, चमोली, टिहरी पिथौरागढ़ और गढ़वाल जिले हुए है। इन जिलों में सबसे ज्यादा वनाग्नि की घटनाएं होती है।इन जिलों में आग बुझाने के लिए कई बार हैलीकॉप्टर का प्रयोग किया जा चुका है।

 

 

फ़ोटो-सांकेतिक

साभार- गूगल


संबंधित आलेख: