फर्जी जज बनकर साइबर ठगों ने रिटायर्ड वैज्ञानिक से ठगे डेढ़ करोड़

सरकार के तमाम कोशिशों के बावजूद साइबर ठगी के मामले थमने का नाम नहीं ले रहा है। हैदाराबाद में एक सेवानिवृत्त वैज्ञानिक से करीब डेढ करोड़ रुपये ठगी का सनसनी खेज मामला सामने आया है। साइबर अपराधियों ने यहां तक कि कोर्ट और जज का रूप धारण कर वारदात को अंजाम दिया।
साइबर अपराधियों ने पहले मनी लॉन्ड्रिंग और ड्रग मामलों में आरोपी होने का दावा करते हुए रिटायर्ड वैज्ञानिक को धमकाया। व्हाट्सएप कॉल में फर्जी सुप्रीम कोर्ट जज ने जांच कराने की धमकी दी। साइबर अपराधियों ने रिटायर्ड वैज्ञानिक को इस तरह से प्रभावित कर दिया कि उन्होंने 1.34 करोड़ रुपये ट्रांसफर कर दिए। सेवानिवृत्त वैज्ञानिक और उनकी पत्नी को वीडियो कॉल पूछताछ और डिजिटल गिरफ्तारी के नाम पर तीन दिनों तक भावनात्मक रूप से परेशान किया गया। हैदराबाद स्थित केंद्रीय अनुसंधान संस्थान में मुख्य वैज्ञानिक के पद से सेवानिवृत्त हुए 73 वर्षीय पीड़ित उप्पल में रहते हैं। 31 मई को उन्हें एक नए नंबर से कॉल आया।
फोन करने वाले ने कहा, 'मैं दूरसंचार विभाग की ओर से बोल रहा हूं। आपके खिलाफ बेंगलुरु के अशोकनगर पुलिस स्टेशन में मामला दर्ज किया गया है। इसके बाद अपराधी ने पुलिस अधिकारी संदीप राव के नाम से फोन किया। आपके आधार कार्ड का दुरुपयोग सुदाखत खान नामक अपराधी ने किया है। उसे पिछले साल 2 नवंबर को कंबोडिया, म्यांमार और फिलीपींस में मानव तस्करी के मामले में गिरफ्तार किया गया था। उसने कहा कि आपका नाम उस मामले में संदिग्धों की सूची में है। बाद में सीबीआई अधिकारी आकाश कुलारी के नाम से एक और साइबर अपराधी फोन पर आया। उसने धमकी दी कि जल्द ही आपके खिलाफ गिरफ्तारी वारंट जारी किया जाएगा। उन्होंने कहा कि इससे बचने के लिए बैंक खाते के लेन-देन का ब्यौरा सुप्रीम कोर्ट के रजिस्ट्रार को भेजा जाना चाहिए और यदि अनधिकृत लेन-देन होगा तो सुप्रीम कोर्ट के अकाउंटेंट उसकी पहचान करेंगे। रिटायर्ड वैज्ञानिक ने इसकी जानकारी भेज दी है। बाद में अपराधी ने कहा कि 'उसे सुप्रीम कोर्ट के जज के सामने गवाही देनी होगी और सुनवाई वीडियो कॉन्फ्रेंस के जरिए होगी और उस दौरान उन्हें सफेद शर्ट पहननी होगी।
अपराधियों की कही हर बात को सच मानकर रिटायर्ड वैज्ञानिक अपनी पत्नी के साथ व्हाट्सएप वीडियो कॉल में शामिल हुए। वीडियो कॉल में जज की ड्रेस में कोर्ट की तस्वीरों के साथ आए आरोपी ने कुछ दस्तावेज भी दिखाए. उन्होंने कहा कि केस से बचने के लिए बैंक खातों में जमा पैसे जमा करवा दें और जांच पूरी होने के बाद खातों में वापस आ जाएंगे। परिणामस्वरूप पीड़ित ने दो दिनों के भीतर तीन लेनदेन में अपराधियों को 1.34 करोड़ रुपये भेजे। पैसे मिलने के बाद आरोपियों ने वीडियो कॉल बंद कर दी। सेवानिवृत्त वैज्ञानिक ने मामले के बारे में अपने परिचित लोगों से संपर्क किया। वे यह जानकर हैरान रह गए कि डिजिटल गिरफ्तारी की आड़ में साइबर अपराधियों द्वारा पैसे ट्रांसफर किए गए। पीड़ित ने हाल ही में राचकोंडा साइबर क्राइम पुलिस से संपर्क किया और मामला दर्ज कर लिया गया है और जांच चल रही है।