• Home
  • News
  • Precious heritage of cultural unity: Chief Minister Saini released the Punjabi translation of Bala Kand of Ramayana

सांस्कृतिक एकता की अनमोल धरोहर: मुख्यमंत्री सैनी ने किया रामायण के बाल कांड के पंजाबी अनुवाद का विमोचन

  • Tapas Vishwas
  • August 02, 2025
Precious heritage of cultural unity: Chief Minister Saini released the Punjabi translation of Bala Kand of Ramayana

हरियाणा के मुख्यमंत्री नायब सिंह सैनी ने शनिवार को भगवान महर्षि वाल्मीकि द्वारा रचित रामायण के बाल कांड के पंजाबी अनुवाद का विमोचन किया। इस अनुवाद में भगवान श्रीराम के बचपन की लीलाओं का विस्तृत और मनमोहक वर्णन किया गया है। यह आयोजन हरियाणा के सांस्कृतिक और आध्यात्मिक परिदृश्य में एक महत्वपूर्ण पड़ाव के रूप में देखा जा रहा है।

विमोचन समारोह के दौरान मुख्यमंत्री सैनी ने सप्तसिंधु वाल्मीकि अध्ययन केंद्र और हरियाणा साहित्य एवं संस्कृति अकादमी के प्रयासों की सराहना की। उन्होंने कहा कि इन संस्थाओं के संरक्षण में यह सांस्कृतिक रूप से समृद्ध कार्य संपन्न हुआ है, जो समाज के लिए एक अमूल्य धरोहर है। "आज का दिन आध्यात्मिक और ऐतिहासिक दृष्टि से बेहद खास है। रामायण के बाल कांड का पंजाबी अनुवाद हमारी सांस्कृतिक एकता और भाषायी सौहार्द का प्रतीक है," मुख्यमंत्री ने उत्साह के साथ कहा। उन्होंने इस अनुवाद को न केवल परंपराओं को जोड़ने वाला, बल्कि समाज को प्रेरणा देने वाला भी बताया। श्री सैनी ने जोर देकर कहा कि यह पुस्तक प्रत्येक व्यक्ति के जीवन में सकारात्मक प्रभाव डालेगी और लोगों को भगवान श्रीराम के आदर्शों से प्रेरणा लेने के लिए प्रोत्साहित करेगी। उन्होंने उपस्थित लोगों को इस पंजाबी अनुवादित पुस्तक को भेंट के रूप में प्रदान किया, जिसे उपस्थित जनसमूह ने उत्साहपूर्वक स्वीकार किया।

इस अनुवाद में भगवान श्रीराम के बचपन की लीलाओं, उनके गुणों और आदर्शों को पंजाबी भाषा में सहज और प्रभावशाली ढंग से प्रस्तुत किया गया है। यह प्रयास विशेष रूप से पंजाबी भाषी समुदाय के लिए महत्वपूर्ण है, क्योंकि यह उन्हें अपनी मातृभाषा में रामायण के गहन दर्शन और शिक्षाओं से जोड़ता है। इस अनुवाद के माध्यम से हरियाणा और पंजाब के बीच सांस्कृतिक सेतु को और मजबूत करने का प्रयास किया गया है। मुख्यमंत्री ने कहा कि हरियाणा सरकार साहित्य और संस्कृति के संरक्षण के लिए प्रतिबद्ध है। इस तरह के प्रयास न केवल हमारी धरोहर को जीवित रखते हैं, बल्कि नई पीढ़ी को भी अपने सांस्कृतिक मूल्यों से जोड़ते हैं। उन्होंने विश्वास जताया कि यह अनुवाद पाठकों के बीच व्यापक रूप से लोकप्रिय होगा और समाज में एकता व नैतिक मूल्यों को बढ़ावा देगा। इस अवसर पर सप्तसिंधु वाल्मीकि अध्ययन केंद्र के प्रतिनिधियों, साहित्यकारों, और गणमान्य व्यक्तियों की उपस्थिति ने समारोह को और गरिमामय बना दिया। यह आयोजन हरियाणा की सांस्कृतिक विरासत को संजोने और उसे अगली पीढ़ियों तक पहुंचाने के लिए एक महत्वपूर्ण कदम है। इस पुस्तक के विमोचन के साथ ही हरियाणा ने एक बार फिर अपनी साहित्यिक और आध्यात्मिक प्रतिबद्धता को प्रदर्शित किया है।


संबंधित आलेख: