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उत्तराखंड Proud Moment:चिपको आंदोलन पर आधारित पुस्तक के लेखक पद्मश्री प्रो शेखर पाठक को मिलेगा प्रतिष्ठित कमलादेवी चट्टोपाध्याय अवार्ड!जूरी ने पुस्तक चयन करते हुए जो कहा वो हर उत्तराखंडी को कर देगा भावुक

  • Kanchan Verma
  • December 02, 2022
Uttarakhand Proud Moment: Padma Shri Prof. Shekhar Pathak, author of the book based on Chipko movement, will get the prestigious Kamaladevi Chattopadhyay Award! What the jury said while selecting the book will make every Uttarakhandi emotional

उत्तराखंड के लिए एक और गौरवपूर्ण दिन है। उत्तराखंड के
प्रसिद्ध लेखक और पर्यावरणविद प्रो. शेखर पाठक को प्रतिष्ठित कमला देवी चट्टोपाध्याय पुरस्कार से सम्मानित किया जाएगा। यह पुरस्कार उन्हें चिपको आंदोलन पर लिखित और मनीषा चौधरी की ओर से अंग्रेजी में अनुवादित पुस्तक ‘द चिपको मूवमेंट: अ पीपल्स हिस्ट्री’ के लिए दिया जाएगा। इस विशिष्ट पुरस्कार में सम्मान पत्र और 15 लाख रुपये की राशि दी जाती है।

विजेता पुस्तक चिपको आंदोलन का चयन राजनीतिक वैज्ञानिक नीरजा गोपाल जायल की अध्यक्षता वाली 6 सदस्यों की जूरी ने किया है। जूरी द्वारा द चिपको मूवमेंट- अ पीपुल्स हिस्ट्री को पुरुस्कार के लिए चयनित आधुनिक भारतीय इतिहास और विविध विषयों पर आधारित 5 किताबो में से सलेक्ट किया गया है।  इस किताब को चयन करते हुए जूरी ने कहा, ‘‘यह एक ऐसे विद्वान द्वारा चिपको आंदोलन का सर्वोत्तम इतिहास है जिन्होंने व्यावहारिक तौर पर इसे जिया। यह ऐसी किताब है जो स्थानीय समुदायों खासतौर से महिलाओं की आंखों से आंदोलन की कहानी बयां करती है।’’

 

आपको बता दें कि शेखर पाठक इतिहासकार, पर्यावरणविद, पर्वतारोही और लेखक हैं। हिमालय क्षेत्र के अनुसंधान के लिए पीपुल्स एसोसिएशन (पहाड़) के संस्थापक, कुमाऊं विवि, नैनीताल में इतिहास के पूर्व प्रोफेसर और दिल्ली में तीन मूर्ति स्थित समकालीन अध्ययन के केंद्र में एक नेहरू फेलो हैं। उन्हें उनके विशिष्ट कार्यों के लिए 2006 में केंद्रीय हिंदी संस्थान की ओर से महापंडित राहुल सांकृत्यायन अवार्ड और 2007 में पद्मश्री से सम्मानित किया जा चुका है।


न्यू इंडिया फाउंडेशन की ओर से वर्ष 2018 से पिछले वर्ष प्रकाशित आधुनिक, समकालीन भारत पर सर्वश्रेष्ठ गैर-कथा पुस्तक के लिए कमलादेवी चट्टोपाध्याय एनआईएफ पुस्तक पुरस्कार प्रदान किया जा रहा है। 1903 में जन्मीं कमलादेवी चट्टोपाध्याय समाज सुधारक और स्वतंत्रता सेनानी थीं। स्वतंत्र भारत में भारतीय हस्तशिल्प, हथकरघा और रंगमंच के पुनर्जागरण की वे प्रेरक शक्ति रहीं। उन्हें उनके उल्लेखनीय कार्यों के लिए 1955 में पद्म भूषण, 1966 में रेमन मैग्सेसे पुरस्कार, 1974 में, संगीत नाटक अकादमी फेलोशिप और 1987 में पद्म विभूषण प्रदान किया गया था। देश में राष्ट्रीय नाट्य विद्यालय, संगीत नाटक अकादमी, केंद्रीय कुटीर उद्योग एंपोरियम और भारतीय शिल्प परिषद जैसे संस्थानों की स्थापना में भी उनका योगदान रहा।


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