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मन की बातः पीएम मोदी ने महाकुंभ को बताया एकता का प्रतीक! स्टार्टअप इंडिया और रामलला के प्राण प्रतिष्ठा की पहली वर्षगांठ का किया जिक्र

  • Awaaz Desk
  • January 19, 2025
 Mann Ki Baat: PM Modi called Mahakumbh a symbol of unity! Mentioned about Startup India and the first anniversary of Ram Lalla's death.

नई दिल्ली। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने आज रविवार को मन की बात कार्यक्रम को सम्बोधित किया। आज 19 जनवरी को मन की बात का 118वां ऐपिसोड था। बता दें कि मन की बात कार्यक्रम का प्रसारण हर महीने के आखिरी रविवार को होता है लेकिन इस बार आखिरी रविवार के दिन 26 जनवरी है। इसलिए इसका प्रसारण 19 जनवरी को ही किया गया। प्रधानमंत्री मोदी ने मन की बात के दौरान सभी देशवासियों को गणतंत्र दिवस की शुभकामनाएं भी दी। पीएम मोदी ने संविधान सभा के सभी महान व्यक्तित्वों को नमन किया। प्रधानमंत्री मोदी ने मन की बात के दौरान अयोध्या में राम मंदिर में रामलला की प्राण प्रतिष्ठा की पहली वर्षगांठ का भी जिक्र किया। उन्होंने कहा कि प्राण प्रतिष्ठा की पहली वर्षगांठ बड़ी धूमधाम से मनाई गई। इसीलिए हमें विरासत को सहेजना है और प्रेरणा लेनी है।

वहीं उन्होंने स्टार्टअप इंडिया का भी जिक्र किया। उन्होंने कहा कि कुछ दिन पहले ही स्टार्टअप इंडिया के 9 साल पूरे हुए हैं और जितने स्टार्टअप्स पिछले 9 साल में बने हैं, उनमें से आधे से ज्यादा टीआईईआर 2 और टीआईईआर 3 शहरों में है। जब हम यह बात सुनते हैं तो हर हिंदुस्तानी का दिल खुश हो जाता है, क्योंकि अब स्टार्टअप कलर बड़े शहरों तक ही सीमित नहीं है।

प्रधानमंत्री मोदी ने मन की बात के दौरान नेशनल वोटर्स डे का भी जिक्र किया। उन्होंने कहा कि 25 जनवरी को नेशनल वोटर्स डे है। इसी दिन भारतीय निर्वाचन आयोग की स्थापना हुई थी। संविधान निर्माता ने संविधान में हमारे चुनाव आयोग को बहुत बड़ा स्थान दिया है। पीएम मोदी ने कहा कि चुनाव आयोग ने हमारी मतदान प्रक्रिया को आधुनिक और मजबूत किया है। 

इस दौरान उन्होंने प्रयागराज में लगे महाकुंभ का भी जिक्र किया। पीएम मोदी ने कहा कि महाकुंभ का उत्सव विविधता में एकता का उत्सव है और कुंभ की परंपरा भारत को एक सूत्र में बांधती है। पीएम मोदी ने कहा कि महाकुंभ में युवाओं की भागीदारी बढ़ी है। इसी के साथ पीएम मोदी ने सुभाष चंद्र बोस का भी जिक्र किया। उन्होंने कहा कि 23 जनवरी यानि नेताजी सुभाष चंद्र बोस की जन्म-जयंती को अब हम ‘पराक्रम दिवस’ के रूप में मनाते हैं। उनके शौर्य से जुड़ी इस गाथा में भी उनके पराक्रम की झलक मिलती है। कुछ साल पहले, मैं उनके उसी घर में गया था, जहां से वे अंग्रेजों को चकमा देकर निकले थे। उनकी वो कार अब भी वहां मौजूद है। वो अनुभव मेरे लिए बहुत ही विशेष रहा। सुभाष बाबू एक विज़नरी थे। साहस तो उनके स्वभाव में रचा.बसा था। इतना ही नहीं, वे बहुत कुशल प्रशासक भी थे।


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