गहलोत सरकार में पारित ‘मृतक शरीर सम्मान कानून’ बीजेपी सरकार में लागू! शव के साथ विरोध, दबाव या उपद्रव की हर कोशिश पर होगी कड़ी सजा, पुलिस ले सकेगी शव का कब्जा
नई दिल्ली। राजस्थान से एक ऐसी खबर सामने आई है, जिसने हर किसी का ध्यान आकर्षित किया है। दरअसल यहां अब मृतक शरीर को रखकर विरोध प्रदर्शन करना, लाश पर राजनीति करना और बिना वजह अंतिम संस्कार में देरी करना अपराध माना जाएगा। सरकार ने पूर्व कांग्रेस शासन में पारित ‘मृतक शरीर सम्मान कानून’ के नियम बिना किसी संशोधन के लागू कर दिए हैं। नियम लागू होने के बाद अब इस कानून के तहत सीधे कार्रवाई की जा सकेगी। जानकारी के अनुसार 20 जुलाई 2023 को पिछली गहलोत सरकार के दौरान विधानसभा में यह बिल पारित हुआ था। 17 अगस्त 2023 को राज्यपाल की मंजूरी के बाद 18 अगस्त 2023 से यह कानून प्रभावी हो गया था, लेकिन इसके नियम जारी नहीं हुए थे। उस समय विपक्ष में रही बीजेपी ने इस कानून का कड़ा विरोध किया था, हांलाकि अब सत्ता में आने के बाद बीजेपी सरकार ने बिना बदलाव किए ही इसके नियम अधिसूचित कर दिए हैं। इन नियमों के मुताबिक मृतक का अंतिम संस्कार 24 घंटे के अंदर करना अनिवार्य होगा। देरी सिर्फ मृतक के परिजन बाहर से आ रहे हों या फिर पोस्टमॉर्टम आवश्यक हो इन्हीं परिस्थितियों में ही मान्य होगी। अन्यथा पुलिस मृतक का शव अपने कब्जे में लेकर अंतिम संस्कार करवा सकेगी। नए प्रावधानों के अनुसार डेड बॉडी रखकर प्रदर्शन करने, सड़क जाम करने या लाश के जरिए दबाव बनाने पर 1 से 5 वर्ष तक की जेल और जुर्माना लगेगा। अगर परिजन राजनीतिक या सामाजिक दबाव के लिए डेड बॉडी नहीं उठाते, तो उन्हें भी सजा मिलेगी। किसी भी नेता, संगठन या गैर-परिजन द्वारा शव के साथ विरोध करने पर भी 5 साल तक की सजा का प्रावधान है। नियम अधिसूचित होने के बाद अब इस कानून के दायरे में परिजन, नेता और मामले से जुड़े सभी व्यक्ति आ जाएंगे। डेड बॉडी का उपयोग कर विरोध, राजनीति या सार्वजनिक व्यवस्था बाधित करने की किसी भी कोशिश पर सीधे कार्रवाई की जा सकेगी।