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हिमालय दिवस की 14वीं वर्षगांठ: उत्तराखंड टूट रहा पहाड़ का सब्र! चुनौतियां बरकरार

  • Tapas Vishwas
  • September 06, 2023
14th anniversary of Himalaya Day: Uttarakhand is breaking the patience of the mountain! Challenges remain

इस वर्ष नौ सितंबर को हम हिमालय दिवस की 14वीं वर्षगांठ मनाने जा रहे हैं, लेकिन हिमालय की सुरक्षा से जुड़े तमाम संकल्प आज भी अधूरे हैं। नौ सितंबर 2010 में जब प्रदेश में हिमालय दिवस मानने की शुरूआत हुई थी, सरकार ने भी इसमें रुचि दिखाई, लेकिन बात बहुत आगे नहीं बढ़ पाई। हिमालय दिवस पर साल-दर-साल लिए गए संकल्प आज भी अधूरे हैं। विशेषज्ञों की मानें तो जब तक हिमालय के प्रति सामूहिक सहभागिता सामने नहीं आएगी, तब तक इन संकल्पों को पूरा नहीं किया जा सकता है। जलवायु परिवर्तन के बढ़ते प्रभावों से उत्पन्न आपदाएं एक वैश्विक चिंता के रूप में उभरी हैं, जो जीवन और पारिस्थितिकी तंत्र के विभिन्न पहलुओं को प्रभावित कर रही हैं।

हिमालय एक प्रतिष्ठित प्राकृतिक खजाना होने के साथ कई देशों के लिए संसाधनों का एक महत्वपूर्ण स्रोत भी है। प्रदेश में हिमालय दिवस की पहल करने वाले पर्यावरणविद डॉ. अनिल प्रकाश जोशी का कहना है कि हिमालय दिवस की अवधारणा का उद्देश्य इसके पारिस्थितिकी तंत्र की सुरक्षा के लिए जागरूकता और सामूहिक भागीदारी को बढ़ावा देना था, लेकिन अभी हम लक्ष्य से दूर हैं। देश को पानी हवा व मिट्टी की आपूर्ति करने में हिमालय की महत्वपूर्ण भूमिका है तो जैव विविधता का भी यह अमूल्य भंडार है। जोशी के अनुसार, हिमालय केवल बर्फ के पहाड़ की शृंखलाभर नहीं, बल्कि यह स्वयं में एक सभ्यता को समेटे हुए है। ऐसी एक नहीं, अनेक विशिष्टताओं के बावजूद हिमालय और यहां के निवासियों को वह अहमियत अभी तक नहीं मिल पाई, जिसकी अपेक्षा की जाती है। इस बार हिमालय दिवस हिमालय और आपदा थीम पर मनाया जा रहा है। आपदाओं में दो महत्वपूर्ण हिस्से हैं, जिसमें से एक हिस्सा स्थानीय है, जिसके लिए हम विकास की योजनाओं को दोषी ठहरा सकते हैं। दूसरा हिस्सा धरती पर बढ़ते तापमान का है, जिसका सीधा असर हिमालय के जलवायु परिवर्तन पर पड़ता है। इस बार हिमाचल में आई आपदा और इससे पहले उत्तराखंड में आई आपदाएं इस ओर इशारा करती हैं कि बदलती जलवायु ने हिमालय के तामक्रम में बड़ी चोट की है। प्रदेश में नौ सितंबर 2010 को हिमालय दिवस मनाने की शुरूआत हेस्को के माध्यम से हुई थी। यह दिन हिमालय के महत्व को चिह्नित करने के लिए मनाया जाता है। लोग हिमालय को समझे और उसका आदर करते हुए उसके साथ जिएं, तभी वह सुरक्षित रह सकता है।
 


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