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दिवंगत अभिनेता निर्मल पांडे की स्मृति में उनके भाई मिथिलेश पांडे ने कलम के सिपाहियों को किया सम्मानित 

  • Awaaz Desk
  • December 14, 2022
In memory of the late actor Nirmal Pandey, his brother Mithilesh Pandey honored the soldiers of the pen

नैनीताल: सरोवर नगरी नैनीताल में आज कलम के सिपाहियों को दिवंगत अभिनेता निर्मल पांडे की स्मृति में उनके भाई मिथिलेश पांडे और सम्मानित वरिष्ठ रंगकर्मीयो द्वारा सम्मानित किया गया। सम्मान समारोह श्री राम सेवक सभा के सभागार मे आयोजित किया गया था। कार्यक्रम में सबसे पहले नैनीताल का नाम रौशन करने वाले दिवंगत अभिनेता निर्मल पांडे को याद करते हुए पुष्प अर्पित किए गए, इसके बाद पत्रकारों को समाज के प्रति  उनके योगदान, लोकतंत्र के चौथे स्तंभ के तौर पर कलम की ताकत से सच को ज़िंदा रखने और निष्पक्ष पत्रकारिता करने के लिए सम्मानित किया गया।

कार्यक्रम की अध्यक्षता सीनियर सिटीजन केसी पंत ने की।अभिनेता निर्मल पांडे के भाई मिथिलेश पांडे ने निर्मल पांडे के जीवन पर प्रकाश डाला। और उन्होंने मीडिया का आभार व्यक्त किया। और कहा कि निर्मल पांडे की जयंती हो या पुण्यतिथि मीडिया हमेशा उनके कार्यक्रम में बढ़चढ़ कर अपनी भागीदारी निभाते है। 

आपको बता दे कि 10 अगस्त 1962 के दिन अल्मोड़ा जिले के मूल निवासी और नैनीताल में पढ़े बढ़े निर्मल पांडे ने अपनी एक्टिंग के बलबूते बॉलीवुड में कम समय मे एक अमिट छाप छोड़ी।
मायानगरी मुंबई में जाकर अपनी अदाकारी के दम पर अभिनेता होते हुए बेस्ट अभिनेत्री का अवार्ड पाने वाले निर्मल पांडे ने सबको ये अवार्ड जीतकर चौंका दिया था। ये साल 1997 था जब अमोल पालेकर द्वारा निर्देशित फिल्म दायरा के लिए निर्मल पांडे को बेस्ट अभिनेत्री का पुरुस्कार फ्रांस में मिला था।फ्रांस का वालेंतिये अवार्ड जितने वाले निर्मल पांडे विश्व के पहले अभिनेता थे।1996 में रिलीज हुई फ़िल्म "दायरा" में निर्मल पांडे ने एक किन्नर का किरदार निभाकर उन्होंने ये साबित कर दिया था कि  कलाकार की कोई सीमा नही होती।उसी साल उन्होंने "बेंडिट क्वीन" में बड़ा ब्रेक मिला,इस फ़िल्म में विक्रम मल्लाह की यादगार भूमिका ने सबके दिल जीत लिए,जिसके बाद वो रुके नही उनका कैरियर सफलता की ऊंचाइयों को छूने लगा और एक के बाद एक बड़े बजट की फिल्में उनकी झोली में आने लगी।"इस रात की सुबह नही", प्यार किया तो डरना क्या,गॉड मदर,ट्रेन टू पाकिस्तान,शिकारी,औजार, जैसी फिल्मों में अपने अभिनय का लोहा मनवाया।निर्मल पांडे ने 2002 में "जज़्बा" नाम की एक एलबम भी लांच की थी।उन्होंने 125 से ज़्यादा थिएटर और नाटक अलग अलग देशो में किये,इसके अलावा उन्होंने धर्मवीर भारती के प्रसिद्ध नाटक "अंधायुग"को भी निर्देशित किया था।

निर्मल पांडे के शुरुआती दौर की बात करें तो उनकी प्राथमिक से लेकर इंटर तक की उनकी पढ़ाई नैनीताल में ही हुई,उसके बाद उन्होंने पोस्ट ग्रेजुएशन तक की पढ़ाई नैनीताल डी.एस.बी से की।रंगमंच से निर्मल का लगाव ही था कि उन्होंने सरकारी नौकरी तक छोड़ दी,नैनीताल के युगमंच से जुड़कर उन्होंने लाहौर नी देख्या, हैमलेट, अजुवा बफौल जैसे शानदार नाटकों अभिनय किया। निर्मल युगमंच से न केवल एक अभिनेता के रूप में जुड़े थे बल्कि उन्होंने अपने निर्देशन से रंगमंच में अपनी अमिट छाप छोड़ी।

निर्मल पांडे का करियर जब ऊंचाइयों पर था तभी उनकी आकस्मिक मौत हो गयी,निर्मल पांडे की मृत्यु 18 फरवरी 2010 को हुई थी,22 फरवरी को मशहूर कार्टूनिस्ट आर के लक्ष्मण के साथ उन्होंने अपनी फिल्म "लाहौर" की स्पेशल स्क्रीनिंग देखने की प्लानिंग की थी पर किसी ने ये सोचा भी नही था कि 22 फरवरी के आने से पहले ही वो सबको अलविदा कह जाएंगे।लाहौर फ़िल्म निर्मल पांडे की आखिरी फ़िल्म थी।निर्मल पांडे एनएसडीसी के सबसे चहिते स्टूडेंट रहे थे।

  आज हुए समारोह में पूर्व नगर पालिका अध्यक्ष मोंटू जोशी,पूर्व विधायक नारायण सिंह जंतवाल,वरिष्ठ रंगकर्मी अनिल घिल्डियाल, केसी उपाध्याय, इदरीस मलिक,हरीश राणा,पवन कुमार, रोहित वर्मा जगदीश बवाड़ी, अमित शाह अदिति खुराना और मनोज साह मौजूद रहे।
 


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