पूर्णिया की अनोखी परंपराः 15 अगस्त का इंतजार नहीं! 14 अगस्त की रात 12 बजकर 1 मिनट पर किया जाता है ध्वजारोहण, वजह जानकर आप भी हो जायेंगे भावुक

नई दिल्ली। देशभर में आज स्वतंत्रता दिवस उत्साह और उमंग से मनाया जा रहा है। इस दौरान हर कोई आजादी के जश्न में डूबा हुआ है। जगह-जगह कार्यक्रम आयोजित हो रहे हैं और शान से तिरंगा फहराया गया। एक तरफ जहां पूरे देश में आज 15 अगस्त को आजादी का जश्न मनाते हुए तिरंगा फहराया गया, वहीं बिहार के पूर्णिया में वर्षों पुरानी परंपरा आज भी निभाई जा रही है। दरअसल, यह परंपरा सबसे अलग है। यहां 15 अगस्त का इंतजार नहीं किया जाता, बल्कि 14 अगस्त की रात 12 बजे ही तिरंगा फहरा दिया जाता है। इस अनोखी परंपरा से जुड़ी एक गहरी और भावुक कहानी है, जो 1947 के गौरवशाली इतिहास को आज भी जिंदा रखे हुए है। यह बात साल 1947 की है, जब भारत को आजादी मिली थी। उस वक्त पूर्णिया के स्वतंत्रता सेनानी रामेश्वर प्रसाद सिंह, रामनारायण साह और शमशुल हक अपने साथियों के साथ मिलकर आजादी की खबर का बेसब्री से इंतजार कर रहे थे। जैसे ही 14 अगस्त की आधी रात को 12 बजकर 1 मिनट पर रेडियो पर भारत की आजादी की घोषणा हुई, इन वीर सपूतों ने उसी वक्त भट्टा बाजार स्थित झंडा चौक पर जोश और जुनून के साथ तिरंगा फहरा दिया। तब से यह परंपरा हर साल निभाई जाती है और यह स्थान देश के उन चुनिंदा जगहों में से एक बन गया है, जहां रात में ध्वजारोहण होता है। यह परंपरा सिर्फ पूर्णिया में ही नहीं, बल्कि पूरे देश में बाघा बॉर्डर की तरह एक अद्वितीय पहचान बन चुकी है। हर साल की तरह इस साल भी रात के 12 बजकर 1 मिनट पर यह ध्वजारोहण किया गया।