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पंचायत चुनावः नेता प्रतिपक्ष आर्य ने चुनाव आयोग और निर्वाचन अधिकारियों की कार्यप्रणाली पर उठाए सवाल! चर्चित भुत्सी सीट को लेकर कही बड़ी बात

  • Awaaz Desk
  • July 22, 2025
 Panchayat elections: Leader of opposition Arya raised questions on the functioning of the Election Commission and election officials! Said a big thing about the famous Bhutsi seat

देहरादून। नेता प्रतिपक्ष यशपाल आर्य ने कहा कि राज्य निर्वाचन आयोग और उसके निर्वाचन अधिकारियों के आदेशों के उच्च न्यायालय और सर्वोच्च न्यायालय में औंधे मुंह गिरने से पंचायत चुनावों में निर्वाचन अधिकारियों के बेतुके निर्णयों से आहत लोगों में न्याय की उम्मीद जगी है। उन्होंने कहा कि टिहरी जिले की सकलाना सीट की भुत्सी सीट से सीता मनवाल के नामांकन को उच्चतम न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश की खंडपीठ ने सही माना है। इससे पहले उच्च न्यायालय नैनीताल के मुख्य न्यायाधीश की खंडपीठ ने निर्वाचन अधिकारी द्वारा सीता देवी के नामांकन को अस्वीकृत करने के निर्णय को गलत करार दिया था। नेता प्रतिपक्ष आर्य ने कहा कि चुनावी याचिकाओं के इतिहास में उच्च और उच्चतम न्यायालय द्वारा सीता देवी मामले में दिया निर्णय मील का पत्थर साबित होते हुए भविष्य में दायर होने वाली चुनाव संबंधी याचिकाओं में देश के न्यायालयों का मार्ग निर्देशन करेगा।

आर्य ने कहा कि अधिकांशतः एक बार चुनाव की अधिसूचना जारी होने के बाद 1952 के पुन्नू स्वामी निर्णय का हवाला देते हुए न्यायालय चुनाव प्रक्रिया में हस्तक्षेप नहीं करते हैं। लेकिन सरकार की शह और चुनाव के दौरान असीमित ताकतों से लैस रिटर्निंग अधिकारी , आयोग के ही बनाए दिशा निर्देशों की अवहेलना करके किसी प्रत्याशी को लाभ पहुंचाने के लिए गलत निर्णय लेते हैं। उन्होंने कहा कि उत्तराखण्ड के हाल के पंचायत चुनाव में ऐसे दर्जनों उदाहरण सामने आए हैं। नेता प्रतिपक्ष ने कहा कि सीता देवी मामले में उच्च न्यायालय और उच्चतम न्यायालय के साल 2000 के  निर्वाचन आयोग बनाम अशोक कुमार मामले के निर्णय को ध्यान में रखते हुए बेहद महत्वपूर्ण निर्णय दिया है। यशपाल आर्य ने साफ किया कि अशोक कुमार निर्णय के अनुसार यदि निर्वाचन आयोग की कार्रवाई दुर्भावनापूर्ण, मनमानी और अवैध हो तो निर्वाचन याचिका दायर होने से पहले आयोग के निर्णयों पर रिट याचिका के माध्यम से न्यायालय हस्तक्षेप कर सकता है। नेता प्रतिपक्ष ने कहा कि अशोक कुमार मामले के निर्णय के बाद भी बहुत कम न्यायालय चुनावी याचिकाओं में हस्तक्षेप करते हैं। चुनाव याचिकाओं में निर्णय बहुत देर में आते हैं इसलिए चुनावों में हेराफेरी करने के आदी उम्मीदवार और आयोग के अधिकारी बेलगाम हो गए हैं। उन्होंने कहा कि पुन्नू स्वामी निर्णय का लाभ लेने वालों के विरुद्ध न्यायालयों में चुनौती दी जानी चाहिए।


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