शिव का अलौकिक, अद्भुत और अकल्पनीय संसार!उज्जैन में महाकाल लोक के पहले चरण का आज पीएम करेंगे उद्घाटन!25 शिव कथाओं को 52 म्यूरल्स में किया गया है प्रदर्शित
उज्जैन:11/10/2022
महाकाल लोक… शिव का अद्भुत, अकल्पनीय और अलौकिक संसार। महाकाल के आंगन के विस्तार के बाद जो भव्य और सुंदर दृश्य सामने आए, उसे हम महाकाल लोक के नाम से जानेंगे।
जी हां पीएम नरेंद्र मोदी आज 11 अक्टूबर को मध्य प्रदेश के उज्जैन में श्री महाकाल लोक (कॉरिडोर) का पहला चरण राष्ट्र को समर्पित करेंगे. 900 मीटर से ज्यादा लंबा महाकाल लोक कॉरिडोर पुरानी रुद्र सागर झील के चारों ओर फैला हुआ है. उज्जैन स्थित विश्व प्रसिद्ध महाकालेश्वर मंदिर पुनर्विकास योजना के तहत रुद्र सागर झील को पुनर्जीवित किया गया है..देश के 12 ज्योतिर्लिंगों में से एक महाकालेश्वर मंदिर में स्थापित है और यहां देश-विदेश से बड़ी संख्या में श्रद्धालु आते हैं. प्रधानमंत्री मोदी 856 करोड़ रुपये के महाकालेश्वर मंदिर गलियारा विकास परियोजना के पहले चरण का उद्घाटन करेंगे. पहले चरण में महाकाल लोक को 316 करोड़ रुपये में विकसित किया गया है
सबसे पहले जानते हैं महाकाल लोक आखिर है क्या?
महाकाल के आंगन को 856 करोड़ रुपए की लागत से 2 फेज में डेवलप किया जा रहा है। इसके पूरा होने के बाद 2.8 हेक्टेयर में फैले महाकाल का पूरा एरिया 47 हेक्टेयर का हो जाएगा। 946 मीटर लंबे कॉरिडोर पर चलते हुए भक्त महाकाल मंदिर के गर्भगृह तक पहुंचेंगे। कॉरिडोर पर चलते हुए उन्हें बाबा महाकाल के अद्भुत रूपों के दर्शन तो होंगे ही, शिव महिमा और शिव-पार्वती विवाह की भी गाथा देखने-सुनने को मिलेगी।
महाकाल लोक के बनने के बाद यह एकमात्र ऐसा मंदिर बन गया है, जहां श्रद्धालु दर्शन के साथ शिव से जुड़ी हर कहानी जान सकते हैं। इसे बनाते समय पर्यावरण का भी विशेष ध्यान रखा गया है। हैदराबाद से विशेष पौधे मंगाए गए। इसके अलावा शमी, बेलपत्र, नीम, पीपल, रुद्राक्ष और वटवृक्ष भी रोपे गए हैं। विकसित एरिया महाकाल वन का हिस्सा है। यही कारण है कि इसे इसी अनुसार डिजाइन किया गया है।
अब इसकी कल्पना और इसे साकार रूप देने की कहानी जानते हैं...
उज्जैन में करीब 47 हेक्टेयर में विकसित हो रहे महाकाल लोक की कल्पना स्मार्ट सिटी प्रोजेक्ट के आने के साथ ही की गई। स्मार्ट सिटी में उज्जैन का नाम शामिल होते ही सबसे पहले 2.8 हेक्टेयर में फैले महाकाल के आंगन को सजाने के साथ ही विस्तार का सुझाव आया। महाकालेश्वर मंदिर में बढ़ती भीड़ को देखते हुए राज्य सरकार ने 5 साल पहले इसकी सैद्धांतिक सहमति दी। तब ये योजना 300 करोड़ रुपए की थी।
मंथन के बाद महाकाल परिसर के साथ रुद्रसागर तालाब को सजाने का प्लान तैयार हुआ। तय हुआ कि दो अलग-अलग फेज में विस्तार किया जाएगा। 2017 से 2018 में प्रोजेक्ट के लिए 870 करोड़ रुपए का बजट मंजूर कर DPR और टेंडर निकाला गया। इसके बाद यहां मूर्तियां, म्यूरल के साथ परिसर को सजाने का काम शुरू हुआ। इसके लिए खास तौर पर राजस्थान का बंसी पहाड़पुर पत्थर मंगवाया गया।
महाकाल लोक की कल्पना करने के बाद उसे साकार करना कम चुनौतियों से भरा नही था। सबसे बड़ा चैलेंज 800 घरों और उनमें रहने वाले परिवारों को शिफ्ट करना था। यहां स्कूल भी थे। बच्चों की पढ़ाई का नुकसान भी नहीं होने देना था। मंथन के बाद सभी बच्चों को 2 स्कूलों में शिफ्ट किया गया। हर दिन नई चुनौती होती थी। कई सामुदायिक मुद्दे थे, उनका भी समाधान करना था। अब दूसरा चैलेंज था- रुद्रसागर की सफाई। CM ने भी कहा- फंड की कमी नहीं आने देंगे, काम समय पर चाहिए।
रुद्रसागर में गिरने वाले नालों का पानी रोका गया तो अब एक और चैलेंज ये था कि इसमें सालभर पानी कैसे रहे। रुद्रसागर, नालों और बारिश के पानी से ही भरता था। ये पानी भी गर्मी में सूख जाता है। कलेक्टर आशीष सिंह ने बताया कि इसके लिए प्लानिंग की और शिप्रा नदी से रुद्रसागर को जोड़ा गया। इसके लिए बीच में एक पम्पिंग स्टेशन बनाया गया। 9 महीने की मेहनत के बाद रुद्रसागर निखर गया। रुद्रसागर विस्तारीकरण के लिए 20 करोड़ की प्रस्तावित योजना में से 10 करोड़ रुपए तो सिर्फ सीवरेज रोकने और जलकुंभी हटाने में खर्च हो गए।
महाकाल लोक में 384 मीटर लंबी म्यूरल्स वॉल बनाई गई है। इस पर शिव की 25 कथाओं को 52 म्यूरल्स में प्रदर्शित किया गया है। इन कथाओं में अधिकांश शिव पुराण, श्रीमद् भागवत, देवी भागवत और अन्य ग्रंथों से लिया गया है। निर्माण एजेंसी के विशेषज्ञ विनोद झालावाड़िया कहते हैं- म्यूरल्स वॉल बनाना मुश्किल था। इसके लिए पौराणिक शास्त्रों को खंगालना, कथाएं तय करना, उन कथाओं को मंदिर समिति, पुजारी-पुरोहित, सांस्कृतिक समिति से स्वीकृत कराना धैर्य का काम था। इससे भी मुश्किल था, उन्हें बनाने के लिए कलाकारों का चयन। इन्हें बनाने में 10 महीने का वक्त लगा।
12 अक्टूबर से महाकाल मंदिर दर्शन व्यवस्था में देश का सबसे सुव्यवस्थित मंदिर हो जाएगा। यहां दर्शन व्यवस्था अगले 50 साल को ध्यान में रखकर बनाई गई है। उद्घाटन के बाद श्रद्धालुओं को सबसे बड़ी सुविधा बिना भीड़ के और कम समय में दर्शन की व्यवस्था मिलेगी। रात में सोने की तरह दमकने वाले महाकाल लोक में सुंदरता के साथ आम श्रद्धालुओं को शिवरात्रि, नागपंचमी और सिंहस्थ जैसे त्योहार के लिए दर्शन की ऐसी बेहतर व्यवस्था बनाई जा रही है, जो देश के किसी मंदिर में नहीं है। किसी भी त्योहार पर न तो महाकाल पहुंचने वाले वाहनों को शहर से दूर रोका जाएगा और न ही कई किमी पैदल चलना होगा। श्रद्धालुओं को पार्किंग से लेकर महाकाल दर्शन तक पहुंचने में सिर्फ 20 मिनट लगेंगे। एक घंटे में 30 हजार लोग दर्शन कर सकेंगे।