वोटिंग के मामले में फिसड्डी साबित हुआ उत्तराखंड! मतदान के आंकड़ों ने बढ़ाई चिंता, शुरू हुआ सियासी गुणा-भाग
वोटिंग के मामले में उत्तराखंड फिसड्डी साबित हुआ है। उत्तराखंड में महज 55.89% वोटिंग हुई है। ये आंकड़ा देश में बिहार के बाद सबसे कम आंकड़ा है। बिहार में पहले फेज में 48.88% वोटिंग हुई है। वहीं उत्तराखंड में कम मतदान प्रतिशत से निर्वाचन आयोग भी चिंतित है। वहीं मतदान के आंकड़ों ने सियासी दलों की चिंताएं भी बढा दी हैं।
देशभर में लोकसभा चुनाव के पहले चरण में 102 सीटों के लिए मतदान हुआ। इसमें तमिलनाडु की 39 सीटें, राजस्थान 12, उत्तर प्रदेश की आठ, मध्य प्रदेश की छह, उत्तराखंड की सभी पांच, महाराष्ट्र की पांच, असम और बिहार की चार-चार, पश्चिम बंगाल की तीन, मणिपुर, मेघालय, अरुणाचल प्रदेश की दो-दो, छत्तीसगढ़, मिजोरम और त्रिपुरा की एक-एक सीट शामिल थी। इन सभी सीटों पर कुम मिलाकर 60.03 प्रतिशत वोटिंग हुई। ये आंकड़ा पिछली बार की तुलना में कम है। वहीं बात अगर उत्तराखंड की करें तो यहां पिथले लोकसभा चुनाव के हिसाब से कम वोटिंग हुई है। उत्तराखंड में 55.89% वोटिंग हुई है। सबसे ज्यादा वोटिंग हुई। यहां 83.88 प्रतिशत मतदान हुआ है। इसके बाद त्रिपुरा में 80.17 फीसदी वोटिंग हुई। इसके बाद पश्चिम बंगाल में 77.57, मेघालय में 74.21, पुडुचेरी में 73.50, असम में 72.10 फीसदी वोटिंग हुई। वहीं बात यूपी की करें को यहां की 8 सीटों के लिए 60.25 फीसदी वोटिंग हुई।
सबसे कम वोटिंग की बात करें तो इसमें बिहार और उत्तराखंड का नाम सबसे उपर रहा। बिहार में 48.88 प्रतिशत मतदान हुआ। उत्तराखंड में भी पांच सीटों के लिए 55.89 प्रतिशत वोटिंग हुई है। त्तराखंड में पांच सीटों पर हुए मतदान के आंकड़ों का गुणा भाग शुरू हो गया है। राजनीतिक दल विभिन्न क्षेत्रों में हुई वोटिंग के आधार पर राजनीतिक आकलन निकालने में जुटे हुए हैं। वैसे तो राजनीतिक दल मतदान प्रतिशत के कम रहने को लेकर कुछ संशय में दिखाई दे रहे हैं, लेकिन इसके बावजूद खुद की जीत पर दलों का भरोसा बरकरार है और इसके पीछे पार्टी नेता तर्क भी दे रहे हैं। राजनीतिक दलों के साथ ही आम लोगों को 4 जून को चुनावीं परिणाम पता चलेंगे, लेकिन परिणाम के आने से पहले परिणाम जानने के लिए राजनीतिक दलों का समीक्षा का दौर शुरू हो गया है। भारतीय जनता पार्टी इस मामले में कुछ आशंकित दिखाई देती है। ऐसा इसलिए क्योंकि पार्टी ने कांग्रेस के मुकाबले ज्यादा तैयारी का दावा किया था और राज्य में 11000 से ज्यादा बूथों पर पन्ना प्रमुख अभियान चलाकर ज्यादा से ज्यादा लोगों को अपने पक्ष में मतदान करवाने की बात कही थी। पहले चरण के तहत हुए मतदान में 12 राज्यों की 102 सीटों के लिए लोगों ने अपने मताधिकार का प्रयोग किया जिसमें उत्तराखंड सबसे कम मतदान वाले राज्यों में शुमार हुआ है। 12 राज्यों में बिहार में सबसे कम मतदान हुआ है। यहां पर 48.88 प्रतिशत मतदान हुआ। सबसे कम मतदान वाले राज्य में दूसरे नंबर पर उत्तराखंड रहा यहां पर 55.89 प्रतिशत मतदान हुआ है। सबसे ज्यादा मतदान प्रतिशत लक्षद्वीप दर्ज किया गया है यहां पर 83.88 प्रतिशत मतदान हुआ है। सबसे ज्यादा मतदान वाले राज्यों में दूसरे नंबर पर पश्चिम बंगाल रहा यहां पर 81.91प्रतिशत मतदान हुआ. इसके बाद तीसरे नंबर पर त्रिपुरा राज्य है यहां पर 81.62 प्रतिशत मतदान हुआ।
उत्तराखंड में मतदान प्रतिशत कुल 55.89% हुआ है। इसमें सबसे ज्यादा मतदान हरिद्वार लोकसभा सीट पर हुआ है। यहां पर 62.36 प्रतिशत मतदान हुआ, जबकि सबसे कम मतदान अल्मोड़ा लोकसभा सीट पर रिकॉर्ड किया गया। यहां पर 46.94% ही मतदान हुआ। सबसे कम मतदान वाली लोकसभा सीट में पौड़ी गढ़वाल लोकसभा सीट भी है यहां पर महज 50.84% मतदान हुआ है। इसके अलावा टिहरी लोकसभा सीट पर 52.57% और नैनीताल लोकसभा सीट पर 61.35 प्रतिशत मतदान हुआ है। अल्मोड़ा लोकसभा सीट पर सल्ट, रानीखेत और अल्मोड़ा विधानसभा में सबसे कम मतदान हुआ है। यहां पर क्रमशः 32%, 41.50 प्रतिशत और 44% मतदान हुआ है जबकि सबसे ज्यादा मतदान वाली विधानसभाओं में चंपावत विधानसभा है यहां पर 56% मतदान हुआ है। कपकोट विधानसभा में 51.43% और बागेश्वर विधानसभा में 51% मतदान हुआ है। पौड़ी लोकसभा सीट में मतदान को लेकर सबसे खराब परफॉर्मेंस लैंसडाउन, चौबट्टाखाल और देवप्रयाग विधानसभा की रही। यहां पर क्रमश 40.1 0%, 40.62% और 41.78% मतदान हुआ। गढ़वाल लोकसभा सीट पर रामनगर में 61.60 प्रतिशत, कोटद्वार में 58.5 0% और केदारनाथ में 56.70% मतदान हुआ है। हरिद्वार लोकसभा सीट में ऋषिकेश में 51.80% धर्मपुर में 51.80% और हरिद्वार विधानसभा में 54.84% मतदान हुआ जो कि इस लोकसभा में सबसे कम प्रतिशत रहा, जबकि हरिद्वार ग्रामीण में 73.21% लक्सर में 72% और पिरान कलियर में 70.01 प्रतिशत मत पड़े।
नैनीताल लोकसभा सीट में सबसे ज्यादा मत प्रतिशत सितारगंज विधानसभा में रहा। यहां 70.15% मत पड़े। इसके अलावा गदरपुर में 67.92 प्रतिशत और नानकमत्ता में 65.71% मत पड़े। लोकसभा में सबसे फिसड्डी विधानसभा नैनीताल रही क्योंकि यहां पर 51.67% मतदान हुआ। इसके बाद भीमताल में भी महज़ 55.50% और काशीपुर में 56.70 प्रतिशत मतदान हुआ। टिहरी लोकसभा सीट को लेकर मतदान की स्थिति देखें तो यहां पर ओवरऑल 52.5 7 प्रतिशत मतदान हुआ है. जिसमें सबसे कम मतदान घनसाली, प्रताप नगर और टिहरी विधानसभा में हुआ। घनसाली में 41.5, प्रताप नगर 41.65% और टिहरी में 44.16 प्रतिशत ही मतदान हुआ। उधर इस लोकसभा में सबसे ज्यादा मतदान विकास नगर में 64.60 प्रतिशत रहा, जबकि सहसपुर में 62.12% और पुरोला में 57.5 0% मतदान हुआ। उत्तराखंड में मतदान प्रतिशत कम रहने के बाद किन-किन क्षेत्रों में मतदान कम हुआ है। इस पर भी आकलन किया जा रहा है. जिन क्षेत्रों को भाजपा का गढ़ माना जाता है। वहां पर मतदान प्रतिशत कम रहने की स्थिति में भारतीय जनता पार्टी को इसका खासा नुकसान होना माना जा रहा है। उत्तराखंड में भाजपा ने राष्ट्रवाद और हिंदुत्व के मुद्दे पर चुनाव लड़ा। राम मंदिर को लेकर जो उत्सव भारतीय जनता पार्टी ने पूरे देश में मनाया है. उसमें उत्तराखंड भी शुमार है। इन्हीं स्थितियों को देखते हुए भारतीय जनता पार्टी को इस बार चुनाव में इसका बेहद ज्यादा लाभ होने की बात कही जा रही थी और मतदान प्रतिशत में भी बढ़ोतरी की उम्मीद थी, लेकिन ऐसा होता हुआ नजर नहीं आ रहा है। राज्य निर्वाचन आयोग ने 75% मतदान करने का लक्ष्य रखा था लेकिन अपने लक्ष्य से कोसों दूर निर्वाचन आयोग लोगों को मतदान केंद्रों तक लाने में असफल साबित हुआ। हालांकि इसके लिए कई वजह बताई गई हैं लेकिन हकीकत यह है कि जागरूकता कार्यक्रम कामयाब नहीं हो पाए और लोग मतदान करने के लिए आगे नहीं आए।